शैक्षिक योग्यता- जो संस्कृत माध्यम से न्यूनतम उत्तर मध्यमा अथवा संस्कृत सहित इण्टरमीडिएट कक्षा उत्तीर्ण हो वह इस पाठ्यक्रम में सम्मिलित हो सकता है।
अध्ययन प्रणाली-
1. सम्बन्धित विषयों के विद्वानों द्वारा नियमित रूप से शिक्षण एवं
प्रायोगिक क्रियाओं के द्वारा प्रशिक्षित किया जायेगा।
2. सेवारत अभ्यर्थियों के लिए संस्थान विशेष सुविधा प्रधान करते हुए अभ्यर्थी के
पंजीकृत होने के बाद
पाठ्यक्रम में सम्मिलित सभी पुस्तकें अध्ययनार्थ प्रदान की जाती हैं, अभ्यर्थियों की सुविधा के आधार पर
अंशकालिक प्रशिक्षण प्रदान करने के उपरान्त ही सत्रान्त के समय परीक्षादि के बाद प्रमाणपत्र निर्गत किये
जाते हैं।
अन्य विषय- पौरोहित्य में उपयोगी प्राय: सभी विषयों का सामान्य ज्ञान कराया जाएगा यथा - वेदमंत्र, ज्योतिष इत्यादि।
अवकाश- प्रत्येक पक्ष की प्रतिपदा एवं अष्टमी तिथियों में अवकाश रहेगा तथा अन्य पर्व त्योहार में भी अवकाश दिया जायेगा। विशेष कार्य हेतु प्रार्थना पत्र देकर अवकाश प्राप्त किया जा सकेगा। परीक्षा- शिक्षण सत्र समाप्त होने पर संस्थान की ओर से लिखित, मौखिक एवं प्रायोगिक परीक्षा ली जायेगी। प्रतिमाह मासिक परीक्षण भी किया जायेगा। परीक्षा की तिथि संस्थान द्वारा एक माह पूर्व घोषित की जायेगी। उत्तीर्ण होने पर संस्था द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा।