प्रकाशित

पुस्तक प्रकाशन
वेदाङ्गसंस्थान एक प्रकाशन संस्था भी है, जिसका उद्देश्य अन्यान्य प्रचलित, अप्रचलित ग्रन्थों को प्रकाश में लाकर उसे जनोपयोगी बनाना.., साथ ही बाह्य लेखकों की पुस्तकों को भी प्रकाशित करना।

प्रकाशित ग्रन्थ

1. कर्मकाण्ड प्रबोध
कर्मकाण्ड प्रबोध नामक यह पुस्तक 256 पृष्ठ की सुन्दर अक्षरों एवं उत्तम मैपलीथो कागज में मुद्रित है। 8 पृष्ठ रंगीन वेदीमंडल के सुंदर चित्र दिये गये हैं, इसमें पूजा, यज्ञ तथा अनुष्ठान की सम्पूर्ण सप्रयोग विधि हिन्दी में समझाकर लिखी गई है। वाहन पूजन,रत्न अंगूठी का पूजन,जन्म दिन की पूजा की विधि इसकी विशेषता है। साथ ही गणेश, गौरी पूजन, कलश, स्थापन पुण्याहवाचन, वास्तु, योगिनी, क्षेत्रपाल, नवग्रह, सर्वतोभद्र,चतुर्लिंगतोभद्र को बनाने की विधि चित्र सहित दी गई है। प्रधान देवता की प्रतिष्ठा , पूजन की सरल विधि हवन विधि, महामृत्युंजय मंत्र जप की विधि तथा पूजन के वैदिक पौराणिक मंत्र मूल, पंचकादि के मंत्र का भी समावेश किया गया है। यह पुस्तक पंडितों के लिए अति उपयोगी है जबकि सनातन धर्म वाले किसी भी व्यक्ति के लिए संग्रहणीय है। इसका मूल्य मात्र ₹260 है।

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2. स्तोत्रमंजूषा
इस स्तोत्र मंजूषा नामक स्तोत्र संग्रह में महत्वपूर्ण 15 स्तोत्रों का संकलन किया गया है। इसमें स्तोत्र पाठ विधि का सरल हिंदी भाषा में निर्देशन है ताकि प्रत्येक भक्त स्तोत्रों के महत्व एवं विधि को जानकर इसका पाठ करके लाभान्वित हो सके। इस पुस्तक में गणपति अथर्व शीर्ष से लेकर महत्वपूर्ण स्तोत्रों के सहित सरस्वती स्तोत्र पर्यंत सतोत्र दिए गए हैं, जिनका अपना विशिष्ट महत्व है इसमें प्रदत्त स्तोत्र विघ्न बाधा का निवारण करने वाले, शत्रु तथा रोगों के नाशक , संकटों से मुक्ति दायक, सब प्रकार से रक्षा करने वाले, धन, सुख, संपत्ति, ऐश्वर्य तथा पुत्रादि प्रदायक हैं । इनमें ऋण ,रैगिंग ,शत्रु नाश करने वाले, मंगली दोष से मुक्ति दिलाने वाले, तथा विद्या को देने में समर्थ स्तोत्र भी सम्मिलित हैं। सभी सनातनी जिज्ञासु साधकों एवं भक्तों के लिए यह स्तोत्र मंजूषा अत्यंत संग्रहणीय है।
स्तोत्र मंजूषा रंगीन आकर्षक कवर सहित सुन्दर पेपर में मुद्रित है ।

पृष्ठ संख्या 80
डिमाई साइज
मूल्य ₹30

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3. स्तोत्र मंजूषा (उभय भाग संवलित)
डिमाई साइज
आकर्षक सुंदर रंगीन कवर।
सुस्पष्ट मुद्रण
पृष्ठ संख्या 160
मूल्य मात्र ₹90 ।

इसमें पूर्व मुद्रित स्तोत्र मंजूषा को भी सम्मिलित किया गया है साथ ही अनेक दुर्लभ तथा अमोघ स्तोत्रों का महत्व सहित सप्रयोग वर्णन है।

इस पुस्तक में कुछ महत्वपूर्ण स्तोत्र दिए गए हैं यथा पति पत्नी विरह नाशक स्तोत्र, सभी प्रकार के ज्वर को नाश करने में समर्थ इंद्राक्षी कवच स्तोत्र, पुत्र प्राप्ति कराने में समर्थ पुत्रप्रदाभिलाषाष्टक धन संपत्ति तथा दरिद्रता नाशक, लक्ष्मी नारायण हृदय तथा समस्त प्रकार के पितृ बाधा का निवारण करने में समर्थ पितृ स्तोत्र तथा अन्य अमोघ प्रयोग वाले स्तोत्र जैसे नारायणास्त्र, अघोरास्त्र इत्यादि का अद्भुत चमत्कारिक प्रयोग इस स्तोत्र संग्रह में दिया गया है यह सभी साधक भक्तों के लिए अवश्य ही संग्रहणीय है।

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4. कुश कंडिका रहस्य
पृष्ठ संख्या - 104
सुंदर मैपलीथो कागज में सुस्पष्ट रूप से मुद्रित की गई है।
कवर 4 रंगों का अत्यंत आकर्षक है ।

इसमें किसी भी यज्ञ या अनुष्ठान में हवन के समय होने वाली कुशकंडिका विधि के बारे में सांगोपांग विवेचन किया गया है। कुश के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कुश कंडिका का विस्तृत विवेचन है तथा हवन में होने वाली समस्त क्रियाओं का विशद रूप से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुरूप वर्णन किया गया है यह अनुष्ठान करने कराने वाले ब्राह्मणों, आचार्यों तथा पंडितों के लिए अत्यंत उपयोगी है साथ ही सनातन धर्मी जो हवन यज्ञ के प्रेमी हैं उनके लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है।

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5. ब्रह्मवर्चस्व सिद्धि
कुल पृष्ठ संख्या 44
मूल्य रु. 30

यह ब्राह्मणों क्षत्रियों तथा वैश्यों के लिए समान रूप से उपयोगी है ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य द्विज कहे गये हैं और सभी द्विजाति के लिए संन्ध्योपासन आवश्यक कर्म है,जो कि प्रात:,मध्यान्ह तथा सायं तीनों कालों में किया जाता है। ब्रह्मवर्चस्व सिद्धि में सरल रूप से संध्योपासन की क्रिया विधि का वर्णन किया गया है। यह नित्य आचरणीय कर्म है अतः इस पुस्तक की नित्य सबको आवश्यकता है।

इसमें सरल रूप से सन्ध्या करने की प्रक्रिया ,गायत्री मंत्र जप की विधि, मुद्राएं, गायत्री हृदय, गायत्री कवच ,अथर्वशीर्ष, तर्पण, विधि तथा जो बृहद् रूप से न कर सकें उनके लिए संक्षिप्त संन्ध्योपासन भी दिया गया है। यह सभी द्विजातियों वेदपाठी ब्राह्मण बटुकों,छात्रों तथा भक्तों के लिए संगृहणीय है।

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6. कवच कुंज
आकर्षक रंगीन कवर
पृष्ठ ३३६
मूल्य रु. 200

इस पुस्तक में सभी देवी-देवताओं के कुल १०३ कवचों का संग्रह किया गया है। सभी कवचों के महत्व को सरल भाषा में बताते हुए उनके पाठ की विधि तथा विनियोग ध्यान सहित कवच पाठ के अनुरूप प्रस्तुतीकरण है। इसके अनुष्ठानिक प्रयोग सभी को लाभान्वित करते हैं । यह सभी सनातनी भक्तों के लिए नितान्त संग्रहणीय है।

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7. श्री चण्डीयज्ञ प्रकाश
पृष्ठ – 656
मूल्य 800 रु.

यह नौचण्डी, रुद्रचण्डी, शतचण्डी, सहस्रचण्डी, लक्षचण्डी, कोटिचण्डी इत्यादि यज्ञों को सम्पादित कराने का साङ्गोपाङ्ग पद्धति ग्रन्थ है। यह सात प्रकरण में विभक्त है। इसमें यज्ञ सम्मत समस्त जानकारी, प्रायश्चित्त, वेदियों का पूजन, हवन, पाठविधि, सहस्रार्चन विधि के साथ साथ आवश्यक देवियों के सूक्त एवं स्तोत्र भी दिए गये हैं। रंगीन आकर्षक कवर एवं वेदी चित्रावली सुन्दर पेपर में सुस्पष्ट मुद्रण है। यह प्रत्येक कर्मकाण्डी ब्राह्मणों, पण्डितों, आचार्यों, देवीभक्तों एवं साधकों के लिए संग्रहणीय है।

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8. कालसर्प शान्ति पद्धति
पृष्ठ – 200
मूल्य 140 रु.
4 पृ. रंगीन वेदी चित्र

सरल एवं सुपाठ्य पद्धति, सभी पंडितों तथा यजमानों के लिए संग्रहणीय पद्धति है, इसमें गणेशादि देवताओं की पूजन विधि, योगिनी, क्षेत्रपाल, नवग्रह, मनसादेवी, राहु काल तथा नागमण्डल में नागवेदी के देवताओं का आवाहन पूजन सहित अनन्तादि नौ नागों की प्रतिष्ठा पूजन विधि, सहस्रार्चन विधि तथा नाग सहस्रनामावली भी दी गयी है। क्रमशः कालसर्प शांति का विधान इसमें पूर्णरूप से प्राप्त है।

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9. महामृत्युञ्जय अनुष्ठान पद्धति
पृष्ठ – 408
मूल्य 300 रु.
रंगीन वेदीमंडल पृ. 8

लगभग 41 प्रकार के महामृत्युंजय जपमंत्रों का सविधि प्रयोग दी गयी है। इसमें पार्थिवार्चन विधि, आवरमपूजन, सहस्रार्चनविधि, महामृत्युंजल भगवान का सहस्रनामस्तोत्र तथा नामावली सहित दुर्लभ स्तोत्रों का संग्रह भी इसमें प्राप्त है। मात्र इस ग्रंथ से सभी प्रकार के महामृत्युंजय, मृत्युंजय, लघुमृत्युंजय तथा मृतसंजीवनी मंत्रों का प्रायोगिक अनुष्ठान कर सकते हैं। सभी विद्वान पंडितों के लिए तथा शिवभक्त यजमानों के लिए ग्राह्य है।

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10. संकल्पसागर
पृष्ठ – 192
मूल्य 150 रु.

लगभग 41 प्रकार के महामृत्युंजय जपमंत्रों का सविधि प्रयोग दी गयी है। इसमें पार्थिवार्चन विधि, आवरमपूजन, सहस्रार्चनविधि, महामृत्युंजल भगवान का सहस्रनामस्तोत्र तथा नामावली सहित दुर्लभ स्तोत्रों का संग्रह भी इसमें प्राप्त है। मात्र इस ग्रंथ से सभी प्रकार के महामृत्युंजय, मृत्युंजय, लघुमृत्युंजय तथा मृतसंजीवनी मंत्रों का प्रायोगिक अनुष्ठान कर सकते हैं। सभी विद्वान पंडितों के लिए तथा शिवभक्त यजमानों के लिए ग्राह्य है।

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11. सन्ध्या विज्ञान
पृष्ठ – 200
मूल्य 150 रु.

सन्ध्योपासन में की जाने वाली क्रियाओं का साङ्गोपाङ्ग वैज्ञानिक विश्लेषण, इस ग्रंथ में किया गया है, यह सभी द्विजातियों (ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य) के लिये संग्रहणीय और पठनीय है।

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12. श्रावणी उपाकर्म पद्धति
पृष्ठ – 104
मूल्य 100 रु.

सभी द्विजातियों के लिए प्रायश्चित्त स्वरूप रक्षाबन्धन के दिन श्रावणी उपाकर्म करने का शास्त्रीय निर्देश है, जिसमें वर्ष भर के पाप नष्ट होते हैं, इसे सभी सनातनद्विजों को करना चाहिए। श्रावणी उपाकर्म पद्धति में श्रावणी उपाकर्म का क्रमशः प्रयोग दिया गया है। जलाशय में दसविध स्नान करके ऋषिपूजन, जनेऊ पूजन तथा नवीन जनेऊ धारण की विधि सरल ढंग से मंत्रों सहित दी गयी है। अवश्य ही इसका लाभ उठायें, यह ग्रन्थ सभी सनातनियों के लिए रखने योग्य है।

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13.रुद्राभिषेक पद्धति
पृष्ठ – 144
मूल्य 80 रु.

प्रायः सभी शिव भक्त श्रावण मास, पुरुषोत्तम मास, प्रदोष या सोवार को रुद्राभिषेक करते हैं। इस पद्धति में रुद्राभिषेक की सम्पूर्ण विधि, रुद्राष्टाध्यायी पाठ, शतरुद्रियपाठ, शिवजी के अनेक सुन्दर स्तोत्र दिये गये हैं। किस पदार्थ से किसलिये रुद्राभिषेक करना चाहिए, कब और कैसे करना चाहिए, यह सब स्पष्ट रूप से बताया गया है। इसके माध्यम से सभी प्रकार के रुद्रयज्ञ भी करा सकते हैं, सभी शिवभक्तों तथा आचार्यों, पंडितों के लिए यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी है।

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14.महाविद्यानुष्ठान पद्धति
पृष्ठ – 62
मूल्य 50 रु.

महाविद्या के अनुष्ठान से स्थान अथवा व्यक्ति की समस्त प्रेतादिक, पैशाचिक बाधा दूर होती है, अतः ऐसी बाधा के निवारणार्थ सम्पूर्ण महाविद्या का स्तोत्र इसमें दिया गया है, साथ ही महाविद्या कवच, मंत्र, यंत्र, पूजन तथा हवन की विधि दी गयी है। इसके माध्यम से कोई भी आर्त भक्त अपनी समस्या का निदान कर सकता है। इसका तांत्रिक अनुष्ठान भी इस पद्धति से कर सकते हैं। यजमान, पंडित तथा आचार्य के लिये भी यह ग्रंथ अत्यन्त उपयोगी है।

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15.सरल दुर्गापाठ विधि
पृष्ठ – 240
मूल्य 175 रु.

प्रायः सभी सनातनी देवीभक्त होते हैं और नवरात्रों में देवी की पूजा-पाठ तथा हवन अवश्य ही करते हैं। सबके लिये पंडित सुलभ नहीं होते हैं, अतः इस पुसत्क के माध्यम से सर्वसाधारण भक्त भी अपने से विधिपूर्वक कलश स्थापन करके पूजा, पाठ और हवन कर सकते हैं। इसमें पाठ की कई विधियाँ भी दी गयी हैं। दुर्गा सप्तशती को सरल करके मुद्रित कराया गया है ताकि कोई भी व्यक्ति इसे आसानी से पढ़ सकता है साथ ही पंडितों के लिये भी उपयोगी है। सभी सनातनियों के ये यह संग्रहणीय है।

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पर्वदर्शन (वार्षिक)

पर्वदर्शन तिथि, त्योहार, व्रतोपवास देखने का सरल एवं सर्वग्राह्य पंचाङ्ग है। इसके द्वारा जन सामान्य भी दिनाङ्क के अनुसार तिथि त्योहार देख सकते हैं। यह प्रतिवर्ष जनवरी से दिसम्बर तक के लिए होता है, इसके नाम के बाद सन् लिखा जाता है जैसे पर्वदर्शन-2019 इसी प्रकार प्रतिवर्ष सन् संख्या बदल जाती है। इसमें मूलनक्षत्र, पंचक, भद्रा, शनि की साढ़ेसाती, राहुकाल, राशिफल, यात्रा का मुहूर्त्त, सम्पूर्ण वर्ष के विवाहादि सहित सभी उपयोगी मुहूर्त्त, स्वप्नफल विचार, शिववास, अग्निवास इत्यादि के सहित अन्य आवश्यक जानकारी भी इसमें दी जाती है, यह सभी के लिए संगृहणीय है। यह विगत 22 वर्षों से प्रकाशित हो रहा है।

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